Essay on Hindi Language in Hindi | हिंदी भाषा पर निबंध हिंदी में

Essay on Hindi Language in Hindi हिंदी भाषा पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए। हिंदी भाषा का क्या है और हम सभी के लिए इसका क्या महत्व है, इस निबंध के माध्यम से हम जानेंगे हिंदी भाषा पर एक अच्छा निबंध कैसे लिखे, तो शुरू करते है –Essay on Hindi Language in Hindi

हिंदी भाषा पर निबंध 200 शब्द

हिंदी की लिपि “देवनागरी” है, जो कई अन्य भारतीय भाषाओं के लिए संयुक्त है।  इसमें कोई संदेह होना चाहिए है कि चीनी भाषा के बाद हिंदी दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। भारत में रहने वाली एक बड़ी आबादी अपनी आम बोलचाल की भाषा के लिए हिंदी भाषा का उपयोग करती है। हिंदी भाषा की उत्पत्ति प्राचीन संस्कृत भाषा से हुई है और इसके अधिकांश शब्द संस्कृत से आए हैं। हिंदी भाषा को समझने वालों की कुल संख्या लगभग 90 करोड़ है, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि वे अपनी आम बोलचाल की भाषा के लिए शुद्ध हिंदी भाषा का उपयोग करते हैं।

भारत में आज भी केंद्र में सभी सरकारी कार्यों में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि आप हिंदी पढ़ और बोल नहीं सकते। आज भी पूरी दुनिया में लगभग 500 मिलियन लोग हिंदी बोलते हैं और अधिकतर लोगों का मानना है कि हिंदी भाषा का महत्व अधिक है, इसलिए हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त है लेकिन उनको यह जानकारी होनी चाहिए कि हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है ना की राष्ट्रभाषा का, भारत में कई जगहों पर हिंदी भाषा का प्रयोग नहीं करते हैं और कुछ लोग यह समझते हैं कि हिंदी भाषा का इस्तेमाल सिर्फ आम बोलचाल की भाषा के लिए ही इस्तेमाल होना चाहिए।

Essay on Hindi Language in Hindi

परिचय

प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र की अपनी भाषा होती है जिसका उपयोग देश में आधिकारिक कार्यों और विचारों के आदान-प्रदान के लिए किया जाता है। जब कोई देश दूसरे देश को गुलाम बनाता है तो वह उस देश की भाषा के स्थान पर अपने देश की भाषा का भी प्रयोग करता है ताकि गुलाम देश पर उसका प्रभाव बढ़ाया जा सके। जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो हमारे संविधान निर्माताओं ने देश की राष्ट्रभाषा पर आधिकारिक कार्य के लिए राज्य भाषा के स्थान पर हिंदी की स्थापना की। इसलिए हिन्दी देश की राष्ट्रभाषा है।

हिंदी देश की संपर्क भाषा

हिंदी ने आजादी की लड़ाई लड़ी है, हिंदी ने उत्तर से दक्षिण को जोड़ा है। यह भारत की एकमात्र संपर्क भाषा है। हिंदी के माध्यम से कोई भी व्यक्ति भारत के किसी भी कोने में अपना काम चला सकता है। यह हिंदी भाषी प्रांतों में एक बहुत लोकप्रिय भाषा के रूप में बोली जाती है, लेकिन यह गैर-हिंदी भाषी प्रांतों में भी आमतौर पर बोली या समझी जाती है।

दक्षिण के किसी भी प्रांत में हर कोई हिंदी समझ सकता है। आंध्र, कर्नाटक, केरल, गोवा के लोग हिंदी को अच्छी तरह समझते हैं। अगर सर्वे ईमानदारी से किया जाए तो पूरे भारत में 80% लोग हिंदी भाषी समझ सकते हैं, लेकिन माहौल ऐसा हो गया है कि जनगणना के मौके पर लोग हिंदी भाषा जानने के बारे में भी नहीं लिखते हैं। तमिलनाडु में लोग हिंदी जानते हैं परंतु यदि उनसे हिंदी में बात की जाए तो वह जानते हुए भी उसका हिंदी में उत्तर नहीं देते हैं। यह हिन्दी के प्रति वर्तमान परिवेश का परिणाम है।

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हिंदी भाषा स्थान

हिंदी भाषा इस समय विश्व की उन भाषाओं में से एक है जो अधिकांश लोगों द्वारा बोली जाती है। वर्तमान में विश्व के प्रत्येक विकसित देश के रेडियो प्रसारणों में हिन्दी का अच्छा सम्मान है। दुनिया के लगभग सभी देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है। अमेरिका के 26 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है और हॉलैंड के सभी 12 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है. इसी प्रकार हिन्दी को अन्य देशों में भी गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त है।

भारत के सभी विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है। अधिकांश विश्वविद्यालयों में शिक्षा का माध्यम हिंदी है। हिन्दी देश की एक समृद्ध भाषा है जिसमें सभी प्रकार के साहित्य की रचना हुई है। हिन्दी साहित्य ने अब तक कई महान साहित्यकारों को जन्म दिया है। यह सभी विषयों में पूरी तरह से विकसित किया गया है। कबीर, सूर, तुलसी, बिहारी आदि प्राचीन कवि हिन्दी के पुत्र रहे हैं। हिन्दी ने भारतेंदु, द्विवेदी, प्रसाद, मैथिलीशरण गुप्त, पंत, महादेवी वर्मा, दिनकर, प्रेमचंद आदि आधुनिक साहित्यकारों को जन्म दिया है। हिन्दी में साहित्य की सभी विधाओं में तीव्र गति से कार्य चल रहा है।

संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत आधिकारिक उद्देश्यों के लिए हिंदी को देश की राजभाषा बनाया गया है। अनुच्छेद 350 के अनुसार हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए सदैव प्रयास करना केंद्र सरकार का दायित्व है। केंद्र सरकार अब तक संविधान में मंजूरी के बाद भी हिंदी को बढ़ावा देने में विफल रही है। हिंदी भाषी राज्यों में इसका इस्तेमाल सरकारी कामों के लिए बहुत कम होता है।

स्व-भाषा के प्रति उदासीनता

हिंदी हमारे देश में एक समृद्ध और लोकप्रिय भाषा होने के बावजूद, इसके प्रति हमारे शासकों और प्रशासकों की उदासीनता देश के लिए घातक साबित हो रही है। दुनिया में कोई छोटा या बड़ा देश नहीं है जिसने अपनी भाषा को इतना उपेक्षित कर दिया हो। हमारे देश के संविधान द्वारा स्वीकृत होने के बाद भी, लोकप्रिय हिंदी समृद्ध भाषा का काम न करके अंग्रेजी भाषा को एक प्रतिष्ठित स्थान मिला है। अंग्रेजी के प्रति इतना आकर्षण और हिंदी के प्रति उदासीनता देश की आजादी के बाद भी बढ़ी है। हमारे देश के नेताओं ने अपने क्षुद्र लाभ के लिए हिंदी को अपने विरोध का खिलौना बना लिया है।

स्व-भाषा संघर्ष के परिणाम

जो अपनी भाषा के प्रति उदासीन है, वह अपनी आत्म-संस्कृति के प्रति भी उदासीन है। जो अपनी भाषा और संस्कृति से प्यार नहीं करता वह अपने देश और समाज से प्यार नहीं करता। एक बच्चा जो अंग्रेजी माध्यम से शिक्षित होता है, वह अंग्रेजी भाषा, पश्चिमी संस्कृति के लिए महान और भारतीय भाषा और संस्कृति हो हिन् समझता है। इसलिए वे भारतीय लोगों को भी हिन् मानते हैं।

हमारे यहां भारतीय भाषा, संस्कृति व जनता को हेय समझने वाले तथा अंग्रेजी को प्राणों से प्यारी समझने वालों को ही उच्च प्रशासनिक पद प्राप्त होते हैं। नतीजतन, उनमें राष्ट्रीय भावना का एक निशान भी नहीं होता है। वे राष्ट्र के नुकसान को अपना नुकसान नहीं मानते, इसलिए भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। जनता के प्रति ईमानदारी और सहानुभूति, राष्ट्र के प्रति वफादारी नाम मात्र की भी नहीं रहती है। । देश की प्रगति रुक जाती है। यही कारण है कि आजादी के इतने लंबे समय के बाद भी हम आज सबसे गरीब देश में हैं। यही कारण है कि हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता खतरे में है।

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निष्कर्ष

यदि वास्तव में हमारे नेता देश को बचाना चाहते हैं, तो उन्हें विदेशी भाषा का मोह छोड़ कर स्व-भाषा और आत्म-संस्कृति से जुड़ना चाहिए। शिक्षा में समानता लाने के लिए अंग्रेजी माध्यम के स्कूल को समाप्त कर देना चाहिए। हिंदी देश के संविधान की राष्ट्रभाषा और राजभाषा है, इसे अपना प्रतिष्ठित स्थान देकर संविधान के प्रति ली गई शपथ को पूरा करना चाहिए। जिस नेता ने संविधान के प्रति निष्ठा का वचन दिया है, वह संविधान द्वारा स्वीकार की गई भाषा का विरोध करके अपना वादा तोड़ देता है। भारत के लोगों को भी अपने दैनिक जीवन का प्रत्येक कार्य हिन्दी में करना चाहिए। सरकार को अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाते हुए हिंदी को उचित सम्मान देना चाहिए।

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